Painful cries of wildlife Telangana destroys 400 acre of forest in Hyderabad, locals ask for support
हैदराबाद के कांचा गाछीबाउली क्षेत्र में 400 एकड़ के वन क्षेत्र की कटाई से संबंधित हालिया घटनाक्रम निम्नलिखित हैं:
वन कटाई और विरोध प्रदर्शन: मार्च 2025 के अंत में, तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के निकट कांचा गाछीबाउली क्षेत्र में 400 एकड़ वन भूमि को साफ करने का कार्य शुरू किया। इस क्षेत्र में कई पेड़-पौधे और वन्यजीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मोर, हिरण, और विभिन्न पक्षी शामिल हैं। रात के समय बुलडोज़रों द्वारा पेड़ों की कटाई के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिनमें पक्षियों और जानवरों की चीख-पुकार सुनाई दी।
न्यायिक हस्तक्षेप: वन कटाई के खिलाफ छात्रों, पर्यावरणविदों और स्थानीय निवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए 3 अप्रैल 2025 को वन कटाई पर रोक लगा दी और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई तक किसी भी प्रकार की गतिविधि न करे।
इसके बाद, उच्चतम न्यायालय ने भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए वन कटाई पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया और तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को स्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
पर्यावरणीय प्रभाव: कांचा गाछीबाउली वन क्षेत्र में 700 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ और 237 पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह क्षेत्र मोर, हिरण, भारतीय स्टार कछुआ, और अन्य वन्यजीवों का आवास है। वन की कटाई से इन प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, साथ ही यह क्षेत्र हैदराबाद के जलवायु संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सरकारी पक्ष: तेलंगाना सरकार का दावा है कि यह भूमि उसकी है और इसे आईटी पार्क के विकास के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। हालांकि, पर्यावरणविदों और स्थानीय समुदाय का कहना है कि इस क्षेत्र को संरक्षित किया जाना चाहिए और इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है, और आगे की कार्यवाही न्यायालय के आदेशों पर निर्भर करेगी।
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